निरालंब उपनिषद् चालीस श्लोकों का एक लघु ग्रंथ है जो प्रश्नोत्तर के माध्यम से अध्यात्म की गहराइयों तक ले जाता है। मानव हमेशा से अपने अज्ञान और अंधेरेवश पीड़ा झेलता आया है। उसे लगता है की सुख की खोज एक दिन पूरी हो जाएँगी और भागते-भागते वह आनंद को प्राप्त हो जाएगा।
लेकिन निरालंब उपनिषद् के ऋषि प्रारंभ में ही कुछ ऐसे प्रश्न साधक के सामने रख देते हैं जो उसकी कल्पनाओं और धारणाओं से आगे के होते हैं। ऋषि न सिर्फ़ प्रश्न पूछते हैं बल्कि वे उत्तर भी सरलता से दे देते हैं। उनके पूछे गए प्रश्न और उत्तर हमारी धारणाओं पर हथौड़ा मारने के सामान होते हैं। उनके द्वारा दिया गया ज्ञान हमारे अहंकार को गलाता है और चेतना को ऊंचाइयों तक ले जाता है।
ऋषियों के जब यह श्लोक जब जीवित गुरु के मुख से निकलते हैं तो मानों साक्षात ऋषि के दर्शन हो जाते हैं। फिर एक-एक श्लोक आपके अंदर के अंधेरों को मिटा के एक नन्हा सा दीपक जला जा जाता है। जिसकी आग से धीरे-धीरे अज्ञान का नाश स्वतः होने लग जाता है।
इसलिए एक वेदांती को यह उपनिषद् अवश्य पढ़ना चाहिए। जो लोग जीवन को ऊंचाई देना चाहते हैं, यह कोर्स उनके लिए है।
निरालंब उपनिषद् चालीस श्लोकों का एक लघु ग्रंथ है जो प्रश्नोत्तर के माध्यम से अध्यात्म की गहराइयों तक ले जाता है। मानव हमेशा से अपने अज्ञान और अंधेरेवश...