प्र: मन कल्पना क्यों कर्ता है?
उ: तथ्यों से वंचित रहने के लिए और वर्तमान की चुनौतियों से बचने के लिए।
कल्पना एक सुविधा है, आलसी और दुर्बल मन के लिए ताकि उचित कर्म में न उतरना पड़े। यदि कोई व्यक्ति विचारों में खो जाता है तो इससे बात साफ़ है कि वह सत्य से भागकर अतीत या भविष्य के स्वप्नों में खोये रहना चाहता है और निरंतर दुःख इकठ्ठा करने की अंदरूनी साजिश में डूबा रहना चाहता है।
आचार्य प्रशांत ने इस कोर्स के माध्यम से कल्पना मुक्त जीवन जीने के विषय में बताया है।
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