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तुम मजबूर हो नहीं, बस मजबूरी पकड़ रखी है || आचार्य प्रशांत (2025)
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Description

वीडियो जानकारी: 16.08.2025, भगवद् गीता सत्र, गोवा Title: उठो! तुम मजबूर हो नहीं, बस मजबूरी पकड़ रखी है || आचार्य प्रशांत (2025) 🗒Chapters: 00:00 – Intro 01:06 – हम क्यों नहीं बदलते? 11:26 – वेशभूषा वाला धर्म 23:01 – आचार्य जी के प्रयास 31:20 – संस्था का संघर्ष 39:51 – यही तो प्रेम है विवरण: इस वीडियो में आचार्य प्रशांत बताते हैं कि भरोसा कोई भावनात्मक अपेक्षा नहीं, बल्कि साधक की पात्रता है। जब तक मनुष्य अपने बंधनों को उचित और सुखद मानता रहेगा, वह भरोसे के योग्य नहीं बन सकता। आचार्य जी स्पष्ट करते हैं कि गीता-सत्र कोई रस्म नहीं, बल्कि साधना का माध्यम हैं — जहाँ निरंतर आत्मावलोकन और ईमानदार घर्षण से व्यक्ति परिपक्व होता है। आत्मावलोकन का अर्थ है हर परिस्थिति में स्वयं को देखना — न कि किसी विशेष समय या माहौल में। यह संवाद उन लोगों के लिए है जो समझना चाहते हैं कि अपने बंधनों को कैसे पहचानें और आत्मावलोकन का सही अर्थ क्या है।