दो शब्दों के योग से बना है शब्द नितनेम। 'नित' माने नित्य या प्रतिपल और 'नेम' माने नियम या अभ्यास। नितनेम का अर्थ है— प्रतिपल का अभ्यास। नितनेम साहिब गुरू ग्रंथ साहिब का अंग है। कीर्तन और प्रार्थना करना, यह दोनों हमें सिखाते हैं कि मन को निर्मल रखने के लिए गुरु की संगति महत्वपूर्ण है। अगर अपनी दिनचर्या में हम गुरु की सीख को याद रखते हैं और नियमित रूप से गुरु की वाणी जपते हैं तो हम पाते हैं की काम, क्रोध, लोभ, मोह का भार मन से उतर जाता है और मन हल्का रहता है।
यह वीडियो कोर्स नितनेम साहिब पर आधारित है। आचार्य प्रशांत जी ने नितनेम साहिब की वाणी का अर्थ बहुत सरलता और स्पष्टता से हमें इस कोर्स के माध्यम से समझाया है।
दो शब्दों के योग से बना है शब्द नितनेम। 'नित' माने नित्य या प्रतिपल और 'नेम' माने नियम या अभ्यास। नितनेम का अर्थ है— प्रतिपल का अभ्यास। नितनेम साहिब गुरू...