मन समय में चल रहे आते-जाते प्रभावों में उलझे रहने का नाम है। इसी उलझन के कारण वह दुःख पाता है। हम अपने आम जीवन में रोज़ एक न एक संकल्प लेते हैं और अक्सर उन्हें पूरा नहीं कर पाते हैं, वजह? भूल जाना, लक्ष्य को याद न रख पाना! नतीजा - घोर दुःख, जीवन में भटकाव, अनुशासनहीनता। नितनेम साहिब ज़ोर दे रहे हैं कि दिन का एक भी मिनट नहीं छोड़ना है, लगातार सुमिरन रखना है। नितनेम साहिब के माध्यम से आचार्य प्रशांत द्वारा दुःख की शुरुवात से लेकर दुःख की समाप्ति तक की यात्रा का सरल वर्णन किया है।
Can’t find the answer you’re looking for? Reach out to our support team.