कठ उपनिषद् सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपनिषदों में से एक है। यह उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेद शाखा से सम्बंधित है और इसकी रचना कठ नामक तपस्वी ने की थी। इस उपनिषद् में दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियाँ हैं, जिनमें उद्दालक के पुत्र नचिकेता और यम के बीच संवाद हैं।
कथा की शुरुआत ऋषि उद्द्दालक के सर्वमेध यज्ञ से होती है, जिनमें वो ब्राह्मणों को बूढ़ी गायें दान देते रहते हैं। यह बात बालक नचिकेता को अनुचित लगती है और यह सोचकर कि पिता को किसी बहुमूल्य वस्तु का ही दान करना चाहिए, वह जाकर पिता से जिज्ञासा करता है, "हे तात! आप मुझे किसे दान में देंगे?" बार-बार अपने पुत्र से यह प्रश्न सुन पिता क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं, "जा, तुझे मृत्यु को दिया।" यह सुन बालक नचिकेता बिना कोई प्रश्न किए चुपचाप यम के द्वार चला जाता है और बिना खाए-पिए तीन दिन तक यमराज की प्रतीक्षा करता है। यमराज नचिकेता से प्रसन्न होकर उससे तीन वर माँगने को कहते हैं।
नचिकेता तीन ऐसे वर माँगता है जिसे जानना हर आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए अनिवार्य है।क्योंकि इन्हीं तीनों वर से उसके कर्तव्य निर्धारित होते हैं।
कठ उपनिषद् सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपनिषदों में से एक है। यह उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेद शाखा से सम्बंधित है और इसकी रचना कठ नामक तपस्वी ने की थी। इस उपनिषद् में...