जीवन में जब कुछ ठीक नहीं लगता तो मन ये तो जान लेता है कि कहीं कुछ गड़बड़ है पर यह नहीं देख पाता कि वह है कहाँ।
अक्सर ही हम उस गलत ज़िन्दगी का कारण दूसरों में खोजने लगते हैं। दूसरों के दोष निकालना इतना ज़रूरी हो जाता है कि हम खुद को देखना ही भूल जाते हैं।
अपनी गलत ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारी दूसरों पर डाल देते हैं।
यह कोर्स उन सभी लोगों के लिए है जो अपने जीवन की ज़िम्मेदारी लेकर उसे बदलना चाहते हैं।
आचार्य प्रशांत का यह सरल कोर्स "जीवन में परिवर्तन कैसे लाएँ" श्वेताश्वेतर उपनिषद के अध्याय 3 पर आधारित है।
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