आत्मा पदार्थ नहीं है, उसका साक्षात्कार कैसे कर लोगे? साक्षात्कार फिर किसका करना होता है? साक्षात्कार करना होता है माया का, मन का। आत्म-साक्षात्कार का मतलब यह नहीं होता कि तुम अपने भीतर देखोगे और जगमग-जगमग आत्मा को पाओगे। आत्म-साक्षात्कार का मतलब होता है अपने विकृत और कुत्सित रूप को देखना, अपनी वृत्तियों को देखना, अपने आंतरिक छल-कपट को देखना।
समझें आत्म साक्षात्कार का वास्तविक अर्थ आचार्य प्रशांत के साथ इस अनूठी प्रवचनमाला में। यह प्रवचनमाला श्वेताश्वतर उपनिषद् के अध्याय 2 पर आधारित है।
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