चाहे आप स्त्री हों या पुरुष, अमीर हों या गरीब, भारतीय हों या अमेरिकी, युवा हों या वृद्ध, हम जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, हमारी मूल इच्छा दुःख से मुक्ति ही है।
आप जिधर भी देखें, हर व्यक्ति अपने सुख की व्यवस्था करने में ही लगा हुआ है। किसी को पैसे में सुख दिखता है, किसी को देह में, किसी को ज्ञान में तो किसी को दूसरों से इज़्ज़त पाने में। हम ये सोचते हैं दुःख से निवृत्ति सुख की तलाश करके मिलेगी लेकिन वहाँ भी हमें निराशा ही हाथ लगती है। सुख और दुःख की सच्चाई न जानना ही हमें इस चक्र में फँसाए रखता है।
श्वेताश्वतर ऋषि से जानिए हमारे दुखों का कारण क्या है और उनसे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है। गहराई से समझें कि हमारी सुख की तलाश ही कैसे हमारे दुखों को और बढ़ा देती है।
आचार्य प्रशांत का यह सरल वीडियो कोर्स "दुःख से मुक्ति कैसे हो?" श्वेताश्वतर उपनिषद् के अध्याय 6 के कुछ श्लोकों पर आधारित है। साथ ही श्लोकों से जुड़े कुछ प्रश्नों पर भी चर्चा की गई है।
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