इस दुनिया में हम यदि पैदा हुए हैं तो हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना ही पड़ेगा। कबीर साहब ने कहा है — 'देह धरे का दण्ड है'। तो जीवन में समस्याएँ तो होंगी ही, पर यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी समस्याओं और दुःखों को पहचानें और उनका निवारण करें।
सबकी परेशानियाँ अलग-अलग हो सकती हैं पर सबकी परेशानियों की जड़ एक ही है। तो समाधान भी जड़ से ही करना होगा। इसके लिए मेहनत लगती है, साधना लगती है, जीवन की गलत धारणाओं, गलत पहचानों और गलत रिश्तों को जानना होता है, और फ़िर उन पर निर्ममता से प्रहार करने की आवश्यकता होती है।
वह मूल समस्या क्या है? और उस मूल समस्या का समाधान क्या है? इन्हीं प्रश्नों के उत्तर के लिए आचार्य जी का नया कोर्स 'व्यक्तिगत परेशानियों का अचूक हल' तैयार किया गया है। अपने मन को जटिलताओं से मुक्त और जीवन को आनन्दमय बनाने के लिए इस कोर्स का हिस्सा ज़रूर बनें।
यह कोर्स श्वेताश्वेतर उपनिषद् के अध्याय 6 के कुछ श्लोकों पर आधारित है। साथ ही उन श्लोकों से जुड़े प्रश्नों पर भी खुलकर चर्चा की गयी है।
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