आप रामचरितमानस पढ़ेंगे तो पाएँगे कि संत तुलसीदास ने राम में उसको प्रविष्ट करा दिया जो अनंत है और नित्य है।
उनके राम दो तल पर हैं:
एक तल पर वह राम हैं जो तथ्य हैं, जिनका किसी माता के गर्भ से जन्म हुआ, जिन्होंने तीर मारे और तीर खाए और जिन्होंने अंततोगत्वा समाधि ले ली।
और दूसरे तल पर वह राम हैं जो न कभी पैदा हुए, न कभी विदा हुए, जो निरंतर होते ही जा रहे हैं। तुलसी के राम दोनों हैं।
भक्त ने भगवान में अपनी भक्ति का प्रकाश स्थापित कर दिया। जो नहीं दिख रहा था आँख से, वह भी देख लिया।
आँख से देखोगे तो क्या दिखाई देगा? सिर्फ राम जो कि एक पुरुष हैं।
और भक्त के हृदय से देखोगे तो क्या दिखाई देगा? राम जो कालातीत हैं, जो मात्र पुरुष ही नहीं, आदिपुरुष हैं, स्वयं सत्य हैं।
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