आज के युग का सबसे बड़ा आदर्श है- भोग, कंज़म्पशन। "खाओ! खाओ! खाओ! भोगो! भोगो! भोगो!" तो इस युग को फिर ऐसे ही चरित्र, लोग, आदर्श, नायक पसंद आएँगे, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में खूब भोगा हो। अब आप राम को देखिए - पिता के कहने पर हाथ में आया राज्य और सिंहासन ठुकरा कर के जंगल की ओर निकल जाते हैं। आज का कौन-सा इंसान, कौन-सा लड़का, कौन-सा बेटा? ये करना चाहता है कि हाथ में आयी धन, संपदा, सत्ता को ठुकरा कर के जंगल की ओर निकल जाये?
तो आज के किसी लड़के को, आदमी को, किसी भी व्यक्ति को राम क्यों पसंद आएँगे?
इसी सवाल के साथ आचार्य प्रशांत आगे बढ़ते हैं इस कोर्स में आज के युग श्रीराम के महत्व को समझाने के लिए। श्रीराम से जुड़ी अपनी धारणाओं को यदि परखना चाहते हैं तो इस कोर्स से शुरुआत करें।
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