आशा क्या है?
आशा एक भाव है, एक विचार है कि जो मैं चाहता हूँ वह कल हो जाएगा।
निराशा क्या है?
निराशा माने आशा से मुक्ति। मैं यह कामना कर ही नहीं रहा कि जीवन मेरी चाहत के अनुसार चले, यही निराशा है।
निराश जीवन अपने आपमें एक संग्राम है, इसलिए निराश होना मात्र जीवित व्यक्ति अर्थात अध्यात्मिक व्यक्ति की ही बात है। जहाँ आशा होगी, वहाँ डर होगा। जहाँ डर होगा, वहाँ हिंसा होगी।
हमारे ज़्यादातर सम्बन्ध डर पर आधारित होते हैं। वजह साफ़ है, आशा! इसलिए दुनिया में ज़्यादातर हिंसक कार्य व्यक्ति के अपने प्रियजनों द्वारा ही किये गए होते हैं।
आचार्य प्रशांत द्वारा इस कोर्स में जीवन के मूल अध्यात्मिक सूत्रों की आसान व्याख्या करी गई है।
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