आमलोग यही मानते हैं कि सारी धार्मिकता का यही केंद्र है कि किसी को चोट मत पहुंँचाओ। पर यह जगजाहिर है कि जब जीसस आए हैं तो उनकी बातें लोगों को इतनी बुरी लगी कि उन्होंने जीसस को क्रॉस पे ही चढ़ा दिया। उनको यह बात इतनी बुरी लगी की वे जीसस के खून के प्यासे हो गए।
कौन है जिसे ठेस लगती है क्योंकि आत्म को तो ठेस लगती नही? कौन भीतर बैठा है जो जीसस को सुनना नहीं चाहता? कौन है जो ठेस लगने के डर से जीसस की बातों का ही अनर्थ कर देता है?
कुछ ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर जानेंगे आचार्य प्रशांत संग इस सरल कोर्स में।
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