क्यों कहते हैं कि जीसस प्रभु के इकलौते पुत्र है? सिर्फ जीसस को ही प्रभु का पत्र क्यों कहते हैं?
इंसान और इंसान में बहुत फर्क होता है। पशु और पशु में कोई फर्क नहीं होता है। भेद सूचक नामों की जरूरत ही तभी पड़ती है जब कोई निजता हो अन्यथा अलग अलग नामों की कोई जरूरत नहीं। पशुओं को नाम इसलिए नहीं दिए जाने चाहिए क्योंकि उनमें व्यक्तित्व का उदय ही नहीं हुआ है।और पैगंबरों और गुरुओं को नाम इसलिए नहीं दिए जाने चाहिए क्योंकि उसमें व्यक्तित्व का विलय हो गया है। तो आप यह भी कह सकते हैं की दुनिया में आजतक जितने मुक्त पुरुष हुए सब का नाम जीसस है क्योंकि उनमें भेद है ही नहीं। जीसस प्रभु के इकलौते पुत्र हैं क्योंकि जितने पुत्र हैं सबका नाम ही जीसस है। भेद तो आपकी दृष्टि में है अन्यथा भेद है नहीं।
कुछ ऐसे ही प्रश्नों के उत्तर जानेंगे आचार्य प्रशांत संग इस सरल से कोर्स में।
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