हमारी वृत्तियाँ हमारे भीतर गहराई से पैठ गईं हैं। देखा जाए तो वे हमारे जीवन को ही संचालित करती हैं। जीवन में हम जो भी छोटे-बड़े निर्णय लेते हैं, विचार करते हैं या धारणाएँ बनाते हैं उनके मूल में वृत्तियाँ ही होती हैं।
एक प्रचलित कहानी के माध्यम से आचार्य जी समझाते हैं कि कैसे जीवन में प्रकाश के आने से हम अपनी विकारों को देख पाते हैं। प्रकाश कि कृपा से ही हमारे मन को ही इतनी ताकत मिल पाती है कि वो अपने विकारों को देख पाता है।
क्या देख भर लेने से सारे विकार नष्ट हो जाते हैं?
हम अपने जीवन में प्रकाश कैसे लेकर आ सकते हैं?
आचार्य प्रशांत संग हम जानेंगे सारे प्रश्नों के उत्तर इस सरल कोर्स में।
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