पंचतंत्र आदमी के मन का ख़ाका है, हमें व्यावहारिक ज्ञान में दीक्षित करने के लिए है। सत्य क्या है, पंचतंत्र को इससे कोई सीधा प्रयोजन नहीं है। उन्हें प्रयोजन है ये बताने से कि
संसार कैसा है?
आदमी की बुद्धि कैसी चलती है?
दुनियादारी क्या है?
व्यावहारिकता क्या है?
एक ही तो सूत्र है, एक ही परख है- भ्रम का मिटना। जीवन से भ्रम अगर विदा होने लगे, तो जान लो कि जिस दिशा जा रहे हो, तुम्हारे लिए हितकर है। जब दिखाई देने लगे कि पहले जो सोचते थे, जैसे जीते थे, जो मानते थे, उसमें कहाँ खोट थी, कहाँ दोष था, तो जान लेना कि अब पहले से बेहतर हो गए हो।
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