कृष्ण और सुदामा की दोस्ती के बारे में तो सभी ने सुना है। इस कोर्स में समझेंगे कि आम मन के लिए प्रेम का अर्थ क्या होता है। सुदामा, कृष्ण जी को उसी चेतना के तल के समझ रहे हैं, जिस कृष्ण को वो बचपन में जानते थे। और अपनी विवशता के कारण ही सुदामा जाते हैं कृष्ण के पास। बिना किसी कारण के भी जा सकते थे आखिर वो दोनों बचपन के दोस्त थे। और कृष्ण जी दौड़े चले आते हैं बिना किसी कारण, कि उनका परम् मित्र सुदामा आए हैं। क्या मित्रता हमें किसी कारणवश ही रखनी चाहिए? कैसे समझें कि किसी के साथ सच में प्रेम का रिश्ता है?
एक और प्रचलित गाथा है जिसमें कृष्ण जी और कालिया का सामना होता है। घटना लगभग जादुई ही लगती है कि बालक कृष्ण ने इतने बड़े साँप को अकेले ही हरा दिया। पर बात दूर की है, बाहर-बाहर तो यही प्रतीत हो रहा है कि इसमें कालिया नाग की हार हो गई। बात हार-जीत की है ही नहीं। क्या कालिया वैसा ही है जैसे वो कृष्ण जी के मिलने से पहले था? क्या सत्य के जीवन में आ जाने से तोड़-फोड़ शुरू हो जाती है?
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