हम जैसा काम चुनते हैं, उससे हमारा जीवन का उद्देश निश्चित हो जाता है। राम का काम चुनेंगे तो काम राम तक ले जाएगा। ऊंँचे से ऊंँचे काम को करने के लिए खुद के प्रति एक विरोध जरुरी है। यह साफ साफ देख लेना होता है कि हम रोज़ कितना पिटते हैं।
जैसा काम हम चुनते हैं, उसमें अमूमन लोभ,लालच, और वासना का ही डेरा रहता है। और लगातार हम वासना के केंद्र से कार्य करते जाते हैं। नींद तब टूटती है जब वासना आपको अंदर से खोखला कर चुकी होती है।
इस पाठ्यक्रम में आचार्य प्रशांत के साथ हम जानेंगे कि
वासना या आकर्षण का क्या समाधान है?
क्या इसके पार जाया जा सकता है?
क्या जीवन में सुंदरता संभव है?
यह सारे प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए काम से राम तक कोर्स करें।
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