काम कोई छोटी चीज़ नहीं होती है, आपका काम आपकी जिंदगी बन जाता है। काम चुनना जिंदगी को चुनने जैसा होता है। आपकी रोटी जहांँ से आएगी, आपका मन भी वैसा ही होगा। अर्थात्, राम की रोटी खाएँगे तो पेट और मन दोनों भरेगा। सिर्फ रोटी खाएँगे तो पेट ही भरेगा लेकिन मन भूखा रह जाएगा। बहुत जरूरी है काम का राम के प्रति समर्पित होना।
कैसे जानें क्या है ऊंँचा काम?
कौन सा काम चुनना ठीक होगा?
बुद्ध पुरुषों ने तो भोग किया है पर क्या भोग से राम तक पहुंँचा जा सकता है?
कुछ ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर जानेंगे आचार्य प्रशांत संग इस सरल से कोर्स में।
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