क्या कह रहे हैं बुल्लेशाह? बुल्लेशाह कह रहे हैं कि कुछ भी अगर ऐसा धारण करोगे जो अपना रूप बदल सकता है, जो अपनी पहचान, अपना नाम बदल सकता है। कुछ भी अगर ऐसा पकड़ लिया जिसके बदलने की संभावना है तो वो यथार्थ हो कर रहेगी।
तो फिर ऐसा क्या पकड़ें जो कभी न बदलता हो?
क्या उसको पकड़ेंगे जो हमें बेहतर से बेहतर बना दे या फिर उसको जो हमें नीचे गिरा दे?
अगर बेहतर बनना है तो चुनाव भी बेहतर होना चाहिए तभी जीवन में रोशनी आती है। आचार्य प्रशांत संग हम जानेंगे कि बुल्लेशाह की काफी हमसे क्या कहना चाहती है।
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