साधकों को देह के विषय में बहुत सारे प्रश्न उठते हैं। इस कोर्स में महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा होगी जैसे—
देहभाव सही है या गलत है?
ऋषियों ने देहभाव को समझने पर इतना ज़ोर क्यों दिया है?
अपने आप को देह मान लेने में क्या हानि है?
हम देह हैं, मन हैं या सत्य हैं?
आगे हम आत्म-अवलोकन और प्रश्न करने के विषय में ज़रूरी बातें समझेंगे। आत्म-अवलोकन का अर्थ होता है कि तुम बताओ कि तुम कहाँ खड़े हो और तुम्हारे आसपास क्या चल रहा है। और, प्रश्न के द्वारा तुम जिज्ञासा व्यक्त करते हो कि अब मंज़िल के लिए कौन सी राह जाएगी। अवलोकन और प्रश्न करना कितना आवश्यक है और किस कोटि के साधकों के लिए कितना महत्वपूर्ण है? यदि सवाल नहीं उठते तो क्या करना चाहिए? यह सारे प्रश्नो का उत्तर हम जानेंगे इस कोर्स मे।
वैसे तो यह ग्रंथ हज़ारों वर्ष पुराना है परन्तु आचार्य प्रशांत द्वारा की गई व्याख्या इसको आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत सरल व प्रासंगिक बना देती है। अपरोक्षानुभूति के प्रकाश में अपने जीवन को एक नई दिशा दीजिए, आचार्य प्रशांत के साथ इस सरल कोर्स में।
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