आज़ाद जीवन एक आज़ाद मन की अभिव्यक्ति है। यदि व्यक्ति का मन मुक्त नहीं है तो मुक्ति आंदोलन शायद ही कभी अपने उद्देश्य की पूर्ति कर पाएंगे।
ऐसा ही एक आंदोलन महिला मुक्ति आंदोलन है जिसका उद्देश्य महिलाओं को राजनीतिक और सामाजिक समानता देना है, लेकिन वो भी उन मूल कारणों को संबोधित करने में असफल रहा है जो स्त्री मन की दासता का कारण बने।
स्त्री का वस्तुकरण होना ही उसकी दासता का प्रमुख कारण है। इस दासता से मुक्ति तभी सम्भव है जब स्त्री खुद को वस्तुमात्र ना समझे।
दुनिया उसका शोषण करती है उसे एक भौतिक वस्तु जानकर और स्त्री वो शोषण सहती है क्योंकि देह से उसने अपना तादात्म्य बैठा लिया है।
आचार्य प्रशांत ने करुणापूर्वक शरीर का सही स्थान बताया, उसके आग्रहों का सुझाव दिया, और स्त्री के मन की मुक्ति के मार्ग पर प्रकाश डाला है।
उनके शब्दों में: एक महिला वासना की वस्तु बनने से उपासना के लायक देवी के रूप में उभरती है जब वह अपनी स्त्रीत्व को छोड़ देती है।
Index
1. लड़का-लड़की के खेल में जवानी की बर्बादी 2. धोखा देकर शारीरिक संबंध बनाने वाले3. लड़की होने का तनाव और बंदिशें4. लड़की या स्त्री होने को अपनी पहचान मत बना लेना5. सुरक्षा नहीं मकान में, लड़की रहो उड़ान में 6. क्या स्त्री की सुंदरता और कोमलता परमात्मा जैसी है?