MOBILE
AP Books
सत्यं शिवं सुन्दरम्

सत्यं शिवं सुन्दरम्

शिवत्व की ओर
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹110
Already have eBook?
Login

Book Details

Language
hindi

Description

शिव नाश के देवता नहीं हैं।

शिव नाश करते हैं ब्रह्मांड में स्थित सीमित वस्तुओं का। शिव नाश करते हैं सीमाओं का। सीमित का नाश करके वो तुम्हें तुम्हारे असीमित स्वभाव में ले जाते हैं और वहीं पर शांति है।

शिव माने शुभ, शिव माने असीम।
परम शांति के अधिष्ठाता हैं शिव।

शिव वो हैं जो बुरे के पक्ष में नहीं हैं।
वो अच्छे के भी पक्ष में नहीं हैं।
शिव बस स्वयं के पक्ष में हैं।

जहाँ शिव हैं वहीं शुभ है। अच्छा-बुरा तो सब आता-जाता रहता है, तुम्हारा बनाया हुआ है। और बनाने की, चलाने में शिव की कोई रुचि नहीं। शिव का काम है- समाप्त करना। और भूलना नहीं, तुम्हें समाप्ति ही चाहिए क्योंकि तुम तो बहुत कुछ बने बैठे हो।

तुम्हें समाप्ति ही चाहिए इसलिए शिवमय हो जाओ।

शिवमय होने का अर्थ है-
समाप्त होने की आरज़ू रखना।

जो ख़त्म होने को तैयार नहीं है, जिनका अभी बनाने में, सजाने में, सँवारने में बहुत रस है, ये महाशिवरात्रि का पर्व उनके लिए नहीं है।

Index

1. जन्मदिवस पर, जन्मदाता को 2. शिव और शंकर में क्या अंतर है? 3. शिव का चरित्र ऐसा क्यों? 4. शिव की तीन आँखों का अर्थ क्या? 5. शिव के नाम पर व्यर्थ कहानियाँ मत उड़ाओ 6. क्यों अपमान कर रहे हो शिव और शास्त्रों का?
View all chapters
Suggested Contribution
₹110
REQUEST SCHOLARSHIP
Share this Book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light