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प्रेम सीखना पड़ता है

प्रेम सीखना पड़ता है

छवियों से परे
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Book Details

Language
hindi

Description

हम जिसे प्रेम कहते हैं वह हम तक मात्र किस्से-कहानियों और फिल्मों के माध्यम से पहुँचा है। ये भी एक ग़लतफहमी है कि प्रेम नैसर्गिक होता है। प्रकृति में, जानवरों में जो प्रेम दिखता है वो प्राकृतिक सौहार्द हो सकता है, प्रेम नहीं।

प्रेम तो सीखना पड़ता है।

प्रेम वास्तव में है मन का निरंतर आकर्षण, सतत प्रवाह शांति की तरफ। प्रेम का वरदान या प्रेम की संभावना तो बस इंसान को ही मिली है। वो भी संभावना मात्र है।

प्रेम मिलेगा किसी कृष्ण जैसे के पास।

Index

1. प्रेम सीखना पड़ता है 2. क्या प्रेम किसी से भी हो सकता है? 3. सच्चे प्रेम की पहचान 4. कौन है प्रेम के काबिल? 5. दूसरे की चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते 6. प्रेम की भीख नहीं माँगते, न प्रेम दया में देते हैं
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