MOBILE
AP Books
कर्मयोग

कर्मयोग

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ३ पर आधारित
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹100
₹200
Already have eBook?
Login

Book Details

Language
hindi

Description

विश्वभर में श्रीमद्भगवद्गीता को अध्यात्म का पर्याय माना जाता है। यहाँ तक कहा गया है कि जीवन से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर इस ग्रंथ में समाहित है। श्रीकृष्ण द्वारा वर्णित कुछ मुख्य विषयों की सूची बनाई जाए तो उसमें 'कर्मयोग' का स्थान श्रेष्ठ रहता है। यह पुस्तक आचार्य प्रशांत द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ३ 'कर्मयोग' पर दी गई व्याख्याओं पर आधारित है। वैसे तो यह ग्रंथ अति प्राचीन है परन्तु आचार्य प्रशांत द्वारा की गई व्याख्या इसको आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत सरल व प्रासंगिक बना देती है।

Index

1. कृष्ण द्वारा अर्जुन को कर्मयोग की शिक्षा 2. यदि ज्ञान ही श्रेष्ठ है तो कर्म की क्या आवश्यकता है? 3. यज्ञ क्या है? हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों? 4. निष्काम कर्म का महत्व 5. बिना फल की इच्छा करे कर्म क्यों करें? 6. श्रीभगवद्गीता हर युग में प्रासंगिक क्यों है?
View all chapters
Suggested Contribution
₹100
₹200
REQUEST SCHOLARSHIP
Share this Book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light