विश्वभर में श्रीमद्भगवद्गीता को अध्यात्म का पर्याय माना जाता है। यहाँ तक कहा गया है कि जीवन से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर इस ग्रंथ में समाहित है। श्रीकृष्ण द्वारा वर्णित कुछ मुख्य विषयों की सूची बनाई जाए तो उसमें 'कर्मयोग' का स्थान श्रेष्ठ रहता है। यह पुस्तक आचार्य प्रशांत द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ३ 'कर्मयोग' पर दी गई व्याख्याओं पर आधारित है। वैसे तो यह ग्रंथ अति प्राचीन है परन्तु आचार्य प्रशांत द्वारा की गई व्याख्या इसको आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत सरल व प्रासंगिक बना देती है।
Index
1. कृष्ण द्वारा अर्जुन को कर्मयोग की शिक्षा2. यदि ज्ञान ही श्रेष्ठ है तो कर्म की क्या आवश्यकता है?3. यज्ञ क्या है? हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों?4. निष्काम कर्म का महत्व5. बिना फल की इच्छा करे कर्म क्यों करें?6. श्रीभगवद्गीता हर युग में प्रासंगिक क्यों है?