MOBILE
AP Books
कामवासना

कामवासना

शर्म, डर, अज्ञान
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹140
Already have eBook?
Login

Book Details

Language
hindi

Description

आज अगर आदमी प्रकृति के प्रति इतना हिंसक है, पेड़-पौधों के प्रति इतना हिंसक है, जानवरों के प्रति इतना हिंसक है, तो उसकी वजह ये है कि वो अपने शरीर के प्रति भी बहुत हिंसक है।

शरीर से मुक्ति चाहते हो, तो शरीर को ‘शरीर’ रहने दो। जिन्हें शरीर से मुक्ति चाहिये हो, वो शरीर के दमन का प्रयास बिल्कुल न करें। जिन्हें शरीर से ऊपर उठना हो, वो शरीर से दोस्ती करें, शरीर से डरें नहीं, घबरायें नहीं।

आचार्य प्रशांत ने इस किताब के माध्यम से शरीर के प्रति शर्म, डर, अज्ञान को हमारे समक्ष रखा है।

Index

1. शारीरिक आकर्षण इतना प्रबल क्यों? 2. स्त्री शरीर का आकर्षण हावी क्यों? 3. नारी के लिए आकर्षण हो तो 4. स्त्री-पुरुष के मध्य आकर्षण का कारण 5. लड़का-लड़की के खेल में जवानी की बर्बादी 6. क्या सेक्स का कोई विकल्प है जो मन शांत रख सके?
View all chapters
Suggested Contribution
₹140
REQUEST SCHOLARSHIP
Share this Book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light