आचार्य प्रशांत का आध्यात्मिक साहित्य मानव इतिहास के उच्चतम शब्दों के समतुल्य है। उनके शब्द एक तरफ मन पर चोट करते हैं और दूसरी तरफ प्रेम और करुणा से सहारा देते हैं।
एक स्पष्टता है जो उनकी उपस्थिति मात्र से चारों ओर फैलती है। उनकी शैली स्पष्ट, रहस्यमयी और करुणामयी है। अहंकार और जड़ धारणाएँ उनके निर्दोष व सरल सवालों के सामने छिप नहीं पातीं।
वे अपने दर्शकों के साथ खेलते हैं – उन्हें ध्यानपूर्ण मौन की गहराइयों तक ले जाते हैं, हँसते हैं, मज़ाक करते हैं, चुनौती देते हैं, समझाते हैं।
एक ओर उनके व्यक्तित्व से किसी करीबी मित्र की झलक मिलती है, तो दूसरी ओर यह भी स्पष्ट होता है कि उनके शब्द बहुत दूरस्थ एक स्रोत से आ रहे हैं।
आज अद्वैत आंदोलन लाखों व्यक्तियों के जीवन को रूपांतरित कर चुका है। हर देश, धर्म, लिंग, संस्कृति एवं आयु के लोग आचार्य प्रशांत को सुन रहे हैं और प्रेमपूर्वक, शांत एवं ईमानदार जीवन जीने की प्रेरणा पा रहे हैं।
आचार्य प्रशांत का जीवन मानवमात्र के उद्धार के साथ प्रत्येक चैतन्य प्राणी के संरक्षण हेतु समर्पित है। वे अपने सेवाओं के माध्यम से विलुप्त होते जीव-जंतुओं एवं जानवरों के प्रति हो रही हिंसा का पुरजोर विरोध करते हैं; और वैश्विक पटल पर एक युवा आध्यात्मिक मिशनरी के रूप में प्रख्यात हैं।
Index
1. आचार्य प्रशांत 2. आचार्य प्रशांत से सर्वाधिक लाभान्वित वर्ग3. जीवित गुरु खतरनाक क्यों?4. डर (भाग-१): डर की शुरुआत5. हिंसा क्या है?6. डिप्रेशन या अवसाद का कारण